* मुरली कविता दिनांक 22.2.2019 *

ब्राह्मण छोटी की स्मृति हर्षित रहने का आधार
खुद से बात करके तुम पाओगे खुशियां अपार
पानी है बाप की शरण तो नष्टोमोहा बन जाओ
मित्र सम्बन्धियों में कभी बुद्धि नहीं भटकाओ
सबसे बुद्धियोग तोड़कर बाप में बुद्धि लगाओ
सेवा लायक बनकर तुम शरण बाप की पाओ
दुख जीवन में तब आता पतित जब बन जाते
जीवन में सुख आता जब पावन हम बन जाते
हमें सतोप्रधान बनाने वाला राजयोग है महान
राजयोग सिखलाता हमको गीता का भगवान
भगवान हमको पढ़ाते ये निश्चय जिसे हो जाता
नष्टोमोहा बनकर वो अमृत पिता और पिलाता
सर्विसेबल बच्चे ही बाप की दिल पर चढ़ पाते
बाप शरण में लेकर उनको विष पीने से बचाते
औरों को ज्ञान समझाकर मन में खुश ना होना
बाप को याद करके ही तुम रोज रात को सोना
माया शत्रु का विघ्न हर बच्चे के सम्मुख आता
जो माया को जीते वो कर्मातीत अवस्था पाता
सदा हर्षित रहने के लिए रूहानी सर्विस करना
श्रीमत पर अपना और सबका कल्याण करना
पुराने जग से दिल हटाकर नष्टोमोहा बन जाना
सच्चे दिल से सच्ची प्रीत एक बाप से निभाना
अपने कर्म और योग में सन्तुलन रखते जाओ
बाप की ब्लेसिंग अपने हर कर्म में पाते जाओ
कर्म अगर अच्छा है तो सबके मन को भाएगा
अच्छा कर्म करने वाला सबकी दुआएँ पाएगा
संकल्पों को स्टॉप करने का अभ्यास बढ़ाओ
अपनी कर्मातीत अवस्था सहज समीप लाओ
*ॐ शांति*