* मुरली कविता दिनांक 18.2.2019 *

स्वदर्शन चक्र चलाकर लाइट हाउस बन जाओ
गफलत ना कर खुद को आत्मा समझते जाओ
सारे संसार में हम स्टूडेंट वंडरफुल और निराले
बाप जैसा बनकर हम औरों को भी बनाने वाले
गृहस्थ में रहते हम शरीर निर्वाह हेतु कर्म करते
पढ़ाई के संग संग पावन बनने की मेहनत करते
बाप से मिले ज्ञान का एकान्त में करना सिमरन
याद की मेहनत करके बनना निरोगी और पावन
ज्ञान योग के द्वारा मास्टर ज्ञान सागर बन जाओ
अन्य आत्माओं को स्वदर्शन चक्रधारी बनाओ
रूहानी शिक्षक बन 21 जन्मों का भाग्य पाओ
उमंग उत्साह के पंखों द्वारा ऊपर उड़ते जाओ
समस्या के तूफानों को तोहफा समझते जाओ
नीरसता और दिलशिकस्त के संस्कार मिटाओ
समस्या को खेल समझ श्रेष्ठ ब्राह्मण कहलाओ
मन में अविनाशी शान्ति की वासधूप जलाओ
अशान्ति रूपी बदबू को सदा के लिए मिटाओ
* ॐ शांति *